उद्देश्य युक्त जीवन
जीवन में उद्देश्य होना अति आवश्यक है|उद्देश्य विहीन व्यक्ति जीवन में उसी प्रकार भटकता रहता है जैसे कोई व्यक्ति किसी भूलभुलैया में फँसकर व्यर्थ भटकता रहता है | वर्तमान समय की बात करें तो आज के विद्यार्थी वर्ग को ही देख लीजिए |उन्हें जीवन में सुख - सुविधाओं के पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं |वे जीवन में जो लक्ष्य प्राप्त करना चाहते है, आसानी से प्राप्त कर सकते हैं परन्तु उन्हें अपने जीवन में क्या करना हैं ?उनके जीवन का उद्देश्य क्या है ? यह उन्हें ज्ञात ही नहीं हैं |इसी अनिश्चितता की स्थिति में रहकर वह अपने भविष्य के विषय में उचित निर्णय नहीं ले सकते और परावलम्बी बनकर अपने जीवन की डोर दूसरों के हाथों में सौंप देते है |जब जीवन की डोर ही किसी ओर के हाथों में हो तो आजीवन कठपुतली बनकर दूसरों के इशारों पर नाचने के अतिरिक्त उनके पास कोई विकल्प ही नहीं रहता |इसके विपरीत यदि हम साहित्य जगत की महान विभूतियों के जीवन के बारे में अध्ययन करते है तो हमें यह ज्ञात होता हैं कि उन्होनें अल्पायु में ही लेखन कार्य प्रारंभ कर दिया था तथा जिस आयु में वर्तमान विद्यार्थिगण अपने जीवन का उद्देश्य भी निर्धारित नहीं कर पाते, उस आयु में ही वे साहित्यरूपी आकाश के दैदिव्यमान सूर्य की भाँति अपनी लेखनी की सुनहली रश्मियों से पृथ्वी को आलोकित कर रहे थे |यह सब संभव हुआ उनके उद्देश्य युक्त जीवन के कारण | अब विचारणीय विषय यह है कि विद्यार्थियों की इस दयनीय स्थिति के लिए क्या केवल वे स्वयं ही उत्तरदायी है | जहाँ तक मेरा मानना है उनकी इस दशा के लिए हम सभी सामूहिक रूप से उत्तरदायी हैं |उन्हें इस दशा से उबारने के लिए अभिभावक एवं शिक्षकों की सहभागिता परम आवश्यक हैं |अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कैसे ?मेरी राय में बाल्यकाल से ही उन्हें अपने जीवन के छोटे - छोटे निर्णय स्वयं लेने दें| सोद्देश्य जीवन जीने के लिए प्रेरित कर ,हम उन्हें निश्चित रूप से अनिश्चितता के गर्त से निकालने में समर्थ होंगे |